Monday 7 November 2016

क्या आपने सोचा है, अंत‌िम संस्कार में ऐसा क्यों होता है?

ह‌िन्दू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक सोलह संस्कार बताए गए हैं। इनमें आ‌‌ख‌िरी यानी सोलहवां संस्कार है मृत्यु के बाद होने वाले संस्कार ज‌िनमें व्यक्त‌ि की अंतिम व‌िदाई, दाह संस्कार और आत्मा को सद्गत‌ि द‌िलाने वाले रीत‌ि र‌िवाज शाम‌िल हैं। अंत‌िम संस्कार का शास्‍त्रों में बहुत द‌िया गया है क्योंक‌ि इसी से व्यक्त‌ि को परलोक में उत्तम स्थान और अगले जन्म में उत्तम कुल पर‌िवार में जन्म और सुख प्राप्त होता है। गरुड़ पुराण में बताया गया है क‌ि ज‌िस व्यक्त‌ि का अंत‌िम संस्कार नहीं होता है उनकी आत्मा मृत्‍यु के बाद प्रेत बनकर भटकती है और तरह-तरह के कष्ट भोगती है।
गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है क‌ि जब क‌िसी व्यक्त‌ि की मृत्यु होती है तो कुछ ही समय में यम के दूत आत्मा को लेकर पहले यमराज के दरबार में पहुंचते हैं जहां यमराज मृतक की आत्मा को उसके कर्मों का लेखा जोखा बताकर वापस उस स्‍थान पर भेज देते हैं जहां उसकी मृत्यु हुई होती है।
मरे हुए व्यक्त‌ि की आत्मा अपने लोगों के बीच रहती है और अपना अंत‌िम संस्कार देखती है। गरूड़ पुराण के अनुसार मृत्यु से तेरह द‌िन तक जो प‌िण्डदान क‌िया जाता है उससे एक कर्मों का फल भोगने वाला अंगूठे के बराबर का शरीर तैयार होता है जो वैसा ही द‌िखता है जैसा मरा हुआ व्यक्त‌ि होता है। इस शरीर को ही यम के दूत कर्मों के अनुसार स्वर्ग या नर्क ले जाते हैं। इसी कारण से मृत्‍यु के बाद तेरह द‌िन तक श्राद्ध और प‌िंड दान क‌िया जाता है।
अंत‌िम संस्कार हर धर्म में होता है लेक‌िन सभी धर्मों के तरीके अलग हैं। यहां हम बात कर रहे हैं ह‌िन्दू धर्म में अंतिम संस्कार की ज‌िसमें शव को जलाया जाता है। इसके पीछे मान्यता है क‌ि मनुष्य का शरीर पांच तत्वों पृथ्वी, जल, अग्न‌ि, आकाश और वायु से बना है। शव को जलाने से यह पांचों तत्व अपने-अपने तत्व से जाकर म‌िल जाते हैं और जब पुर्नजन्म होता है तब वापस शरीर में म‌िल जाते हैं।
गरुड़ पुराण और कठोपन‌िषद् में बताया गया है क‌ि ज‌िन व्यक्त‌ियों का दाह संस्कार नहीं होता है उनका उन्हें अपने जीवन से मुक्त‌ि नहीं म‌िल पाती है और वह प्रेत बनकर भटकते रहते हैं। शास्‍त्रों में बताया गया है क‌ि ज‌िनकी अकाल मृत्यु हुई है और शव दाह संस्कार के ल‌िए नहीं उपलब्‍ध हो तब भी उनका दाह संस्कार क‌िया जाना चाह‌िए। इसके ल‌िए शास्‍त्रों में यह खास व्यवस्‍था बताई गई है।
'कुश' एक प्रकार का घास होता है ज‌‌िसका पुतला बनाकर दाह संस्कार करना चाह‌िए। इस प्रकार दाह संस्कार करने से व्यक्त‌ि की आत्मा को शांत‌ि म‌िल जाती है। दाह संस्कार से जुड़ा एक और बड़ा न‌ियम है क‌ि व्यक्ति की मृत्यु अगर रात में या शाम ढ़लने के बाद होती है तो उनका अंतिम संस्कार सुबह सूर्योदय से लेकर शाम सूर्यास्त होने से पहले करना चाहिए। सूर्यास्त होने के बाद शाव का दाह संस्कार करना शास्त्र विरुद्ध माना गया है। इसके पीछे कई कारण हैं।
शास्‍त्रों का एक मत यह भी है क‌ि सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार करने से मृतक व्यक्ति की आत्मा को परलोक में कष्ट भोगना पड़ता है और अगले जन्म में उसके किसी अंग में दोष हो सकता है। एक मान्यता यह भी है कि सूर्यास्त के बाद स्वर्ग का द्वार बंद हो जाता है और नर्क का द्वार खुल जाता है। पं. जयगोव‌िंदशास्‍त्री बताते हैं क‌ि मान्यता जो भी हो लेक‌िन इसका व्यवहार‌िक पक्ष यह है क‌ि दाह संस्कार व‌िराने में या क‌िसी नदी तालाब के आस-पास होता है। ऐसे स्‍थानों पर रात के समय दुर्घटना भी संभव है इसल‌िए द‌‌िन के समय अंत‌िम संस्कार करने का व‌िधान हो सकता है।
अंत‌िम संस्कार के समय एक छेद वाले घड़े में जल लेकर शव की पर‌िक्रमा की जाती है और इसे पीछे की ओर पटककर फोड़ द‌िया जाता है। इस न‌ियम के पीछे एक दार्शन‌िक संदेश छुपा हुआ है। कहते हैं क‌ि जीवन एक छेद वाले घड़े की तरह है ज‌िसमें आयु रूपी पानी हर पल टपकता रहता है और अंत में सब कुछ छोड़कर जीवात्मा चली जाता है और घड़ा रूपी जीवन समाप्त हो जाता। इस रीत‌ि के पीछे मरे हुए व्यक्त‌ि की आत्मा को और जीव‌ित व्यक्त‌ि दोनों का एक दूसरे से मोह भंग करना भी उद‍्देश्य होता है।
अंत‌िम संस्कार में दाह संस्‍कार के बाद स‌िर मुंडाने की भी न‌ियम है। इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञान‌िक दोनों ही कारण है। धार्मिक कारण यह माना जाता है क‌‌ि स‌िर मुंडवाकर मृत व्यक्त‌ि की आत्मा के प्रत‌ि श्रद‍्धा व्यक्त ‌क‌िया जाता है। बाल मनुष्य का श्रृंगार माना जाता है, स‌िर मुंडवाना शोक का भी प्रतीक माना जाता है इसल‌िए ज‌िस पर‌िवार में व्यक्त‌ि की मृत्यु होती है वह स‌िर मुंडवाते हैं।
वैज्ञान‌िक दृष्ट‌ि से स‌िर मुंडवाने का कारण यह है क‌ि दाह संस्कार के समय शव के जलने से कई दूष‌ित पदार्थ शरीर पर आकर च‌िपक जाते हैं। शरीर तो स्नान से शुद्ध हो जाता है लेक‌िन स‌िर की शुद्ध‌ि के ल‌िए बाल मुंडवाना जरूरी होता है   
Article Credit :- amarujala.com       

Sunday 6 November 2016

शाहरुख खान के द्वारा बताये गए सफलता के कुछ अनमोल मंत्र


                                                        1. डर के आगे जीत है
किंग खान का मानना हैं की हार एक डर ही है, जो आपको हर बार अपना 100 % देने के लिए मजबूर करता है
और आप जीतते है इसलिए हर का दर  भी बनाये रखे

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                                                       2. अपने मन की सुनो
लोग क्या कहेंगे इसकी चिंता न करें । हर किसी की बात सुंनना कोई मतलब नहीं, और जिसकी सुननी चाहिए वो फालतू की बात नहीं करते हैं
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                                                      3. सफलता सीख नहीं देती है
सफलता कभी भी अच्छी सीख नहीं दे सकती है । हमेशा अपनी हार से सीखे , यह आपको बताएगी की कहाँ आपसे गलती हुइ है
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                                                      4. कर्म को धर्म बनाये
आपने काम को ही आपन धर्म समझे । खूब मेहनत करे । सफलता के लिए यह बहुत जरुरी है ।
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                                                     5. अपने काम से प्यार करें 
अगर आप किसी काम से प्यार नहीं करते हैं तो या आप उसे छोड़ दे या फिर उससे प्यार करें । काम से प्यार नहीं करेंगे तो आप सफल नहीं हो सकते
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                                                     6. बड़ा सोचे
अगर आप सोच छोटी रखेंगे तो सफलता भी छोटी मिलेगी । बड़ी सोच बड़ी सफलता दिलाएगी । जो भी आप काम करें उसमे बड़े पर रियल टारगेट रखे ।
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                                                    7. खुद से पर्तिस्पर्धा करें
कॉम्पिटिशन के इस दौर में दुसरो से प्रतिस्पर्धा करने से बेहतर है की खुद से पर्तिस्पर्धा करें । इससे आपको और अच्छा करने की प्रेरणा मिलेगी
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                                                   8. हार भी जीवन का हिस्सा है
हार  भी जीवन का एक हिस्सा है । जिस तरह सफलता बरकरार नहीं रहती , उसी तरह असफलता भी बरक़रार नहीं रहती मेहनत  करें आगे बढे
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                                                   9. सफर एन्जॉय करें
सफलता के पीछे हर कोई भागता है पर सफर का मज़ा कोई नहीं ले पता है । सफलता का सफर भी आनंदायक है । कभी हार, कभी जीत  इसे भी एन्जॉय करे लाइफ आसान होगी ।
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                                                  10. वर्क लाइफ बैलेंस बनाये
काम मेरा पैशन है , पर परिवार भी उतना ही महत्पूर्ण है इसलिए काम और पारिवारिक जीवन को ऐसे मैनेज करें की आप दोनों को एन्जॉय कर सके ।
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                                                   11. नगेटिविटी से दूर रहें
नगेटिविटी  आपकी सोच को प्रभावित करती हैं नेगेटिव सोच वाला व्यक्ति कभी सफल नहीं हो सकता है । कोशिश करे की नेगेटिव आपके आसपास न फटके
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                                                 12. आत्मविस्वास बनाये रखे 
जब आपको लगे की हर चीज़ आपके खिलाफ जा रही है , तो उस हवाई जहाज को को याद करें, जो हवा के विपरीत ही उड़ता है । खुद पर भोरासा करे हवाओ के रुख पर नहीं
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                                                 13. अपने सपनो को साकार करें
अगर आप आने सपनो को साकार करने में हिचकिचा रहे है , तो एक दिन कोई और व्यक्ति आपको उसके सपनो को साकार करने के लिए नौकरी देगा । 

Thursday 13 October 2016

दुनिया के पाँच सबसे लग्जरी ट्रेन


1.    महाराजा एक्सप्रेस ( India ):- यह दुनिया सबसे महँगी ट्रेन है यात्री को संदर सुविधा परदन करती है | 2012 मे इस ट्रेन को दुनिया का सबसे लक्जरी ट्रेन का दर्जा दिया गया था खास तौर पर इस ट्रेन पर यात्रा कर के आप भारत की संस्कृति और भारत का सौंदर्य का पता लगा सकते हैं|  इस ट्रेन मे टोटल 88 यात्री यात्री का जगह है  इस ट्रेन मे दो रेस्तरां हैं यह मुख्य रूप से जोधपुर, जयपुर, बीकानेर, आदि जैसे भारत के कई खूबसूरत जगहों में यात्री के ज़रूरत के हिसाब से संदर अडवंचेर परदन करता हैं इस ट्रेन का स्टार्टिंग किरया 2,25,920 के आस पास

2.    गोलडेन ईगल ट्रांस- साइबिरियन एक्सप्रेस ( Russia ) : - 
यह दूसरी सबसे महँगी ट्रेन के रूप मे निर्माण कराया गया है यह रूस के सबसे महँगी ट्रेन है इस ट्रेन मे बैठ कर यात्री रूस की सुंदरता देख सकते है यह ट्रेन 2007 मे चालू कराया गया था यह ट्रेन रूस जाने वाले पर्यटको को आकर्षित करती है इस ट्रेन पर से रूस का ताजे पानी का झील पर्यटको को आपने और आकर्षित करता है इस ट्रेन मे दो होटेल है और मनोरंजन के लिए पियानो की सेवाएं प्रदान करता है। इस ट्रेन का एक रात का किरया लगभग 1,40,159 रु. है


3.    रॉयल स्कॉट्स्मन (Scotland ) :- यह  ट्रेन स्कॉटलैंड ले सबसे महँगी ट्रेन है इस ट्रेन मे लोग पर्यावरण के साथ पाँच सितारा जैसे होटेल का सेवा परदन करती है इस ट्रेन मे सिर्फ़ 36 लोग के बैठने या सोने की जगह हैं स्कॉटलैंड के सबसे आकर्षक स्थानो के लिए लोग यात्रा करते है और बरामदा यात्रियों खुली हवा वातावरण का आनंद उपलब्ध करती है ये ट्रेन आपने यात्री को पुस्तकालय प्रदान करती है इस ट्रेन का एक रात का  किरया लगभग 1,47,900 रु. है
4.    वेनिस सिंप्लन ऑरियेंट एक्सप्रेस ( United Kingdom ) :- यह दुनिया भर में सबसे प्रामाणिक गाड़ियों में से एक है। यह 6 दिनों की यात्रा पर इस्तांबुल के रास्ते पेरिस के माध्यम से यात्रा करता है। इस ट्रेन की डिजाइन देखने से बनती है| और इसकी गुणवत्ता दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहा तक इस  ट्रेन मे  यात्री के किए एकदुकन भी है इस ट्रेन का एक दिन का किरया लगभग 1,26,856 
 5. ईस्टर्न & ओरिएंटल एक्सप्रेस (Singapore ):- इस ट्रेन मे बैठकर आप सिंगापुर, मलेशिया और थाईलैंड जैसे कई अलग अलग स्थानों की एक अद्भुत परिदृश्य देख सकते है जंगलों, पहाड़ों, मंदिरों, आदि के माध्यम से यात्रा करने के लिए यह विशेष रूप से नए साल के जश्न के लिए एक विशेष यात्रा प्रदान करता इसके डिब्बों अपने यात्रियों के लिए सभी विलासिता के साथ बना हैं | यह भी विशेष शेफ के साथ में दो होटल है। इस ट्रेन का किरया 1,05,509 रु. दिन का किरया हैं
                                                                                                                  
 







Wednesday 12 October 2016

समसन घाट से लौटकर

समसन घाट से लौटकर :- समसन घाट जाना किसे अच्छा है ? जिस शरीर के लिए सारे उप्कर्म किए जाते है उसे जलते देखकर कौन सहज रह सकता है ? लेकिन दिल्ली मे जाने की जब भी वजह बन गई, जाने से आपने को रोक नही पाया चारो तरफ जलती लशो से उठती लपते और दूर आसमान की तरफ जाती धुँआ के बीच खड़े रहने पर लगता है की इन लपटो  से आपने भीतर भी कुछ जलकर शुद्ध हो रहा है आपने भीतर की आकर जलती है और तोड़ा संवेदनशील मानवीय होकर हम लौटते हैं चीज़ो के पीछे भागना कुछ कम हो जाता है इससे पहले मैं बोध गया घाट कभी नही गया था जितनी भी बार गया लोधी रोड के समसन गृह ही | पहली बार पंकज सिंह को विदाई देने निगम बोध गया गया था भीतर घुसते लगा की आप तईं उसे तरह मृत्यु लोक मे आ पहुंचे
वहाँ हमारे भीतर की अहंकार  भी जलती है और तोड़ा  मानवीय होकर हम लौटते हैं :- जिसकी परिकल्पना पौराणिक कथाओ मे की गई है चारो तरफ शिरफ़जलती लाशे और मौत के संकेतो के बीच सांसारिकता से विरक्त एकअलग हे दुनिया जहाँ की दीवारे पर लिखे पंक्तियों से गुजरते हुए आपकोनष्ट का सही मतलब समझ  आता है कबीर की जिस पंक्ति को हम क्लास रूम मे पढ़ते पढ़ते आए हैं वे अंतिम सत्य के तौर पर मौजूद नज़र आती है और यही आपके सबसे ज़्यादा करीब नज़र लगती हैं जलती लाशो को एकटक देखते हुए भीतर हे भीतर बुदबुदा रहे होते हैं - हाड़ जरै ज्यों लाकड़ी , केस जरै ज्यों घास / सब जग जलता देख भया कबीर उदास 


Monday 10 October 2016

अगर तुम ना होते........

इन दिनो विकास की खूब चर्चा होती है मगर विकास तो जीवन की निरंतरा से जुड़ी एक अंतहीन क्रिया है फिर भी राजनीतिक दालो की हर गतिविधि विकास के इर्द गिर्द ही घूमती है वैसे समाज व को राष्ट्र का विकास सामूहिक प्रयास से होना चाहिए | भारत जैसे देश मे , जहाँ की आबादी सवा सौ करोड़ से ज़्यादा है विकास कार्य के आँकरे को समेट पाना कोई आसान कम नही है ये तो देश का न्यूज़ चैनल और अखबार है जिसकी बदौलत विकाश की चर्चाएं लागों तक पहुंच पति है देश के चौथे स्तंभ ने विकाश के कार्य की अनदेखी और ज़िम्मेदार लोगों के हकलाते जवाब को उजागर कर के विकाश की गति प्रदान की है कभी कभी तो ये पूछने को जी मचलता है | की अगर तुम ना होते तो क्या होता, अगर तुम ना होते तो क्या होता....

Sunday 9 October 2016

अहंकार की बातें

जब व्यक्ति अपनी उपलब्धियों इतरने लगता है, उन्हे प्रेरणा की बजय प्रतिष्ठा के रूप मे भुनाने की कोशिस करने लगता है तो   उसे यह समझ लेना चाहिए की उसके अंदर का अहंकार का संचार होना शूरू हो गया है इस अहंकार के वजह से व्यक्ति और अधिक नही सिख नही पता है और कई बार तो जो उसने सिख लिया है उसे भी कार्यान्वित कर पाने मे आसफल रहता हैं मशहूर आमेरीकि लेखक और वक्ता जॅन कैल्विन मैक्सवेल का मानना है की गुर्व बुरा है जो हमारे अंदर श्रेष्ठता की भावना जागृत करता है इस भावना के चलते व्यक्ति अपने आप को बाकी सबसे उपर और परिपूर्ण समझने लगता है इससे इंसान के सवभाव मे अक्खड़पन आ जाता है उसका और अधिक सीखने की चाहत भी ख़तम हो जाती है इसके कारण वह आती आत्मवीस्वास ग्रस्त हो जाता है ये सब मिलाकर उसके विकाश की गुंजाइश समाप्त हो जाती है और उसकी उपलब्धियों भी वही रह जाती है व्यवहार में अहंकार का नकारात्मक प्रभाव काफी व्यापक है मगर इसका करना तत्व काफ़ी छोटा है इसे समझने के लिए हमे आयरलैंड के उपन्यासकार कलिव स्टेप्लस लेविस के बतो पर गौर करना होगा वह कहते हैं की अहंकार आपके पास कुछ होने के प्रसन्नता के करना नही पनपता , बल्कि यह सामने वाले से ज़्यादा आपके पास होने की  प्रसन्नता कारण पनपता है वह आगे कहते है यह प्रतिद्वंदिता का ही तत्व है जो हमे अनहकारी बनता है और अगर यह चल गया तो अहंकार भी ख़तम हो जाएगा |' व्यक्ति का अहंकार रहित होना उसकी तरक्की की बुनियादी जरूरतों मे से एक है इसलिए हमे हमे अपनी उपलब्धियों को विनरमातापूर्वक ग्रहन कर , उन्हे प्रेरणा के रूप मे उपोग कर, उनसे आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए, ना की उनपर घमंड करके वही पर वही ठिठक जाना चाहिए